Santosh Singh bundela wikipedia Biography in Hindi | संतोष सिंह बुंदेला का जीवन परिचय

Santosh Singh Bundela Wikipedia Biography In Hindi | संतोष सिंह बुंदेला का जीवन परिचय

1 फरवरी 1930 को मध्यप्रदेश के पहाड़गाँव, बिजावर में जन्मे संतोष सिंह बुंदेला जी आधुनिक काल के बुंदेली कवि थे। संतोष सिंह बुंदेला जमीन से जुड़े हुए कवि थे। उनकी अधिकतर रचनाएँ समकालीन जीवन से जुड़ी हुई थी, जिसमे स्त्री का जीवन व उनके जीवन की कठिनाइयों का जिक्र रहता था और साथ ही वे देश प्रेम, प्रकृति प्रेम को भी अपनी रचनाओं में दर्शाते थे। संतोष सिंह बुंदेला खड़ी बोली (बुंदेली) में समाज में व्याप्त बुराइयों को अपनी मनमोहक रचनाओं के माध्यम से जमीन पर उतार देते थे।

Santosh Singh Bundela Wikipedia Biography In Hindi (संतोष सिंह बुंदेला की जीवनी)

Full Name ( पूरा नाम )संतोष सिंह बुंदेला
Nick Name ( निक नाम )संतोष
Profession (पेशा)कवि
Famous For ( प्रसिद्धि )कविता रचना

Santosh Singh Bundela Famous Compositions (संतोष सिंह बुंदेला की प्रसिद्ध कृतियाँ)

संतोष सिंह बुंदेला जी बुंदेली काव्य के आधुनिक काल के कवि थे, और इस काल के कवि समकालीन समाज, संस्कृति और राजनीति के प्रति जागरुक थे। यही विशेषताएं संतोष सिंह बुंदेला की भी थी, उन्होंने मुख्य्तः स्त्रियों और बेटियों के लिए अपनी रचनाएँ लिखी थी।

संतोष सिंह बुंदेला जी की कुछ प्रमुख रचनाएँ नीचे दी गयी है-

  • दुखिया-दीन गमइयाँ
  • बापू अबै न आए!
  • गौरीबाई
  • बिटिया
  • लमटेरा की तान

Personal Information ( व्यक्तिगत जानकारी )

जन्म दिनांक ( DOB )1 फरवरी 1930
मृत्यु (Death)ज्ञात नहीं
जन्म स्थान ( Birth Place )पहाड़गाँव, बिजावर, मध्य प्रदेश
गृह नगर ( Home Town )पहाड़गाँव, बिजावर, मध्य प्रदेश
धर्म ( Religion )हिन्दू
जाति ( Caste )ज्ञात नहीं
राष्ट्रीयता ( Nationality )भारतीय
विद्यालय ( School )ज्ञात नहीं
महाविद्यालय ( College )ज्ञात नहीं
शिक्षा ( Education )ज्ञात नहीं
राशि ( Zodiac Sign )कन्या

Physical Appearance

लम्बाईसेंटीमीटर में- 167.64 CM
मीटर में-1.68 M

इंच में-   5 ’6″
वज़नकिलो में- 75
पाउंड में- 165.347 Lbs
बालो का रंगकाला
आँखों का रंगकाला

Santosh Singh Bundela Family (संतोष सिंह बुंदेला का परिवार)

संतोष सिंह बुंदेला जी परिवार के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं है, उनके माता-पिता का नाम क्या था। संतोष सिंह बुंदेला जी का विवाह कब हुआ और उनके कितने बच्चे हैं और वे अब कहाँ है, इस बारे में कुछ भी जानकारी ज्ञात नहीं है।

संतोष सिंह बुंदेला की काव्यगत विशेषताएँ

संतोष सिंह बुंदेला आधुनिक काल के कवि थे और इस काल के कवि समकालीन कवियों से बिल्कुल भिन्न थे। इस काल के कवि आशावादी थे और भविष्य के नए सपनो को अपनी रचनाओं में दर्शाते थे।

संतोष सिंह बुंदेला जी की रचनाओं में आधुनिक युग की पूरी झलकियाँ दिखती थी। संतोष सिंह बुंदेला की काव्यगत विशेषताएं निम्न है-

  • संतोष सिंह बुंदेला जी एक प्रगतिवादी कवि थे।
  • आधुनिक चेतना के बुन्देली में लिखने वाले कवि
  • संतोष सिंह बुंदेला जी खड़ी भाषा में रचनाऐं लिखते थे।
  • संतोष सिंह बुंदेला जी बुंदेली काव्य के दिग्गज रचनाकार थे।
  • संतोष सिंह बुंदेला जी बेटी और उसके प्रेम को अपनी रचनाओं के द्वारा खड़ी भाषा में व्यक्त करते थे।

बुंदेली काव्य पिछले सात सौ वर्षो से अधिक पुरानी एक परम्परा है। बुंदेली काव्य हिंदी के एकदम समतुल्य है, जिसमे साहित्य का सम्पूर्ण निचोड़ मिला हुआ है।

Santosh Singh Bundela Poems ( संतोष सिंह बुंदेला की कवितायें)

बिटिया

बिटिया तो है कपला गाय,
न अपने मुख सें कछु वा काय,
जमाने के सब जुलम उठाय,

ओंठ सें बोल न दो बोले,
महा जहर खाँ भी अन्तर में,
अमरित-सौ घोले।
सान्ति की सूरत है,
सील की मूरत है।

अन्तर में होंय आग तौउ बा सीतल बानी बोले,
नौनी-बुरइ सबइ की सुनबै भेद न मन कौ खोले
खुसी में थोड़ौ मुसक्या देत,
लाज सें दृग नीचे कर लेत,

न ईसें आगें उत्तर देत, मन की चाहे धरा डोले।
करत है जब कोऊ ऊकी बात,
तौ नीचौ सर करकें उठ जात,
लाज भर नख-सिख सें,
कछू ना कह मुख सें।

सावन की सोभा है बिटिया और दोज कौ टीकौ,
न्यारौ-न्यारौ रूप है ईको मात-बहिन-पतनी कौ।
ईकौं केवल कन्यादान,
होत है कोटन जग्य समान,

दओ जिन उनके भाग्य महान, भाग्य दोऊ कुल के खोले।
सजाबै अपनों घर संसार,
प्यार कौ लै अपार भंडार,
जात घर साजन के,
छोड़ सँग बचपन के।

कर दए पीरे हाँत, पराए हो गए बाप-मताई,
छूटे पौंर, देहरी, आँगन, पनघट गली-अथाई।
चली तज बाबुल कौ घर-गाँव,
और माँ की ममता की छाँव,

परबस जात पराए ठाँव, चली डोली होले-होले।
याद कर भाई-बहिन की जंग,
संग सखियन के बिबिध प्रसंग,
नैन भर-भर आबैं,
सबइ छूटे जाबैं।

पलकन की छाया में राखो, सुख-सनेह सें पालो,
ऐसी नौनी रामकुँवर पै, परै न राम कसालो।
रात-दिन दुआ करै पितु-मात,
सौंप दओ जीके हाँत में हाँत,

संग में ऊके रहै सनात, नाथ की सेवा में हो ले।
जराबै संजा कैं नित दीप,
धरत है तुलसीधरा समीप,
बड़न के पग लागै,
कुसल पतिकी माँगै।

लरका जग में एकइ कुल कौ, कुल-दीपक कहलाबै,
‘पुत्रि पवित्र करे कुल दोऊ’ रामायन जा गाबै।
कन्या कुलवंती जो होय,
तौ ऊसें जस पाबें कुल दोय,

अपने मन मानस में धोय, तौल कें फिर बानी बोले।
करत है हरदम मीठी बात,
मनौ होय फूलन की बरसात,
कि जीमें समता है,
हिये में ममता है।

संतोष सिंह बुंदेला की अन्य कवितायें

संतोष सिंह बुंदेला की कवितायें
संतोष सिंह बुंदेला का जीवन परिचय

इस लेख में हमने बुन्देली कवि  संतोष सिंह बुंदेला के जीवन परिचय से जुड़ी जानकारी विस्तार से शेयर की आशा है की ये जानकारी आपको पसंद आई होगी, और यदि हमसे कोई जानकारी छुट गई या आपको लगता है की कुछ नया जुड़ सकता है, तो हम आपके सुझावों का स्वागत करते है।

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